Saturday, June 12, 2010

५ मंत्रों की आहुति मन ही मन करें

पूज्य बापू जी ने सत्संग में भगवान को मन से प्रार्थना करते हुए मन ही मन निम्न लिखित पाँच (५) मंत्रों की आहुतियाँ देने के लिए कहा है :

1। ॐ अविद्यां जुहोमि स्वाहा: (Om Avidyaam Juhomi Svaha)

अर्थ : हे परमात्मा ! हम अपनी अविद्या को , अज्ञान को , आपके ज्ञान में स्वाहा करते हैं ।

2। ॐ अस्मिता जुहोमि स्वाहाः (Om Asmita Juhomi Svaha)

अर्थ : अपने शरीर से जुड़ कर हमने जो मान्यताएं पकड़ रखी हैं , धन की , पद की , आदि उन सब को हम स्वाहा करते हैं ।

3। ॐ रागं जुहोमि स्वाहा: (Om Raagam Juhomi Svaha)

अर्थ : जिसमें राग होता है उसके दुर्गुण नहीं दिखते और जिसमें द्वेष होता है उसके गुण नहीं दिखते। हम किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा परिस्थिति से राग न करें। राग को हम स्वाहा करते हैं ।

4। ॐ द्वेषं जुहोमि स्वाहाः (Om Dvesham Juhomi Svaha)

अर्थ : किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा परिस्थिति से द्वेष न करें; उस द्वेष को भी हम स्वाहा करते हैं ।

5। ॐ अभिनिवेशम जुहोमि स्वाहाः (Om Abhinivesham Juhomi Svaha)

अर्थ : मृत्यु का भय निकाल दें ; यह शरीर मैं हूँ और मैं मर जाऊंगा इस दुर्बुद्धि का मैं त्याग करता हूँ ; जो शरीर मरता है वह मैं अभी से नहीं हूँ ; जो शरीर के मरने के बाद भी रहता है, वह मैं अभी से हूँ ।

हरि ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ

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