५ मंत्रों की आहुति मन ही मन करें
1। ॐ अविद्यां जुहोमि स्वाहा: (Om Avidyaam Juhomi Svaha)
अर्थ : हे परमात्मा ! हम अपनी अविद्या को , अज्ञान को , आपके ज्ञान में स्वाहा करते हैं ।
2। ॐ अस्मिता जुहोमि स्वाहाः (Om Asmita Juhomi Svaha)
अर्थ : अपने शरीर से जुड़ कर हमने जो मान्यताएं पकड़ रखी हैं , धन की , पद की , आदि उन सब को हम स्वाहा करते हैं ।
3। ॐ रागं जुहोमि स्वाहा: (Om Raagam Juhomi Svaha)
अर्थ : जिसमें राग होता है उसके दुर्गुण नहीं दिखते और जिसमें द्वेष होता है उसके गुण नहीं दिखते। हम किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा परिस्थिति से राग न करें। राग को हम स्वाहा करते हैं ।
4। ॐ द्वेषं जुहोमि स्वाहाः (Om Dvesham Juhomi Svaha)
अर्थ : किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा परिस्थिति से द्वेष न करें; उस द्वेष को भी हम स्वाहा करते हैं ।
5। ॐ अभिनिवेशम जुहोमि स्वाहाः (Om Abhinivesham Juhomi Svaha)
अर्थ : मृत्यु का भय निकाल दें ; यह शरीर मैं हूँ और मैं मर जाऊंगा इस दुर्बुद्धि का मैं त्याग करता हूँ ; जो शरीर मरता है वह मैं अभी से नहीं हूँ ; जो शरीर के मरने के बाद भी रहता है, वह मैं अभी से हूँ ।
हरि ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
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