Monday, March 22, 2010

अगर मन इन्द्रियों के साथ चलेगा तो समझो परमात्मा रूठे है ..तो निचे जाएगा… मन को ऊपर उठाना है तो सत्संग किया, नियम का आदर है तो उंचा उठेगा..मन बुध्दी के अनुसार चलेगा..


अगर बुध्दी ज्ञान स्वरुप है तो सही निर्णय देगी…जिस के प्रिय भगवान नहीं, जिस के लिए भगवत प्राप्ति मुख्य नही, उस का संग ऐसे ठुकराओ जैसे करोडो वैरी सामने बैठे है यद्यपि वो परम स्नेही हो..



मन है फिसलू भैया!…. इस के चंगुल में फसना नहीं…धैर्य से , दृढता से नियम करता है वो इस के चुंगल में फसेगा नहीं ..

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