भगवान् ने मनुष्य की रचना न तो अपने सुखभोग के लिये की है,न उसको भोगों में लगाने के लिये की है और न उस पर शासन करने के लिये की है, प्रत्युत इसलिये की है कि वह मेरे से प्रेम करे,मैं उससे प्रेम करुँ,वह मेरेको अपना कहे,मैं उसको अपना कहूँ,वह मेरे को देखे,मैं उसको देखूँ!
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